कच्चा बांध टूटने से शिप्रा में मिला गंदा पानी

कांग्रेसियों का आरोप-प्रशासन बांध टूटने से नहीं रोक पाया

उज्जैन – उज्जैन में त्रिवेणी घाट पर बना स्टाप डेप टूटने से कान्ह का गंदा पानी शिप्रा में मिल रहा है। यह डेम कान्ह के गंदे पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए बनाया गया है। दो दिन पहले ही रामघाट क्षेत्र में पाइप लाइन लीकेज होने के कारण नाले का गंदा पानी शिप्रा में मिल गया था। चैत्र पूर्णिमा के दिन श्रद्धालुओं को बगैर स्नान के लौटना पड़ा था।
कलेक्टर नीरज सिंह ने बताया कच्चा बांध टूटा नहीं है। ओवर फ्लो होने की वजह से पानी निकालने के लिए बांध तोड़ा गया है। शिप्रा में गंदा पाने मिलने से रोकने के लिए 21 साल में 650 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर दिए गए लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल रहा है। 2028 के सिंहस्थ को ध्यान में रखते हुए शिप्रा को साफ करने के लिए गोठड़ा से कालियादेह महल तक क्लोज डक्ट योजना बनाई गई है। इस योजना पर करीब 598 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

जिम्मेदार त्रिवेणी आकर देखें स्थिति क्या है?

शुक्रवार दोपहर करीब 12 बजे शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मुकेश भाटी, नेता प्रतिपक्ष रवि राय, सुरेंद्र मरमट, देवव्रत यादव, सोनू शर्मा और लालचंद भारती आदि कांग्रेसी त्रिवेणी पहुंचे थे। इन्होंने यहां टूटे हुए कच्चे बांध से शिप्रा में मिल रहे कान्ह के गंदे पानी को देखकर विरोध जताया। भाटी ने कहा कि 23 अप्रैल को जब रामघाट पर शिप्रा में सीवरेज का पानी मिल रहा था और विधायक महेश परमार ने उसे लेकर आपत्ति जताई थी तो भाजपा ने इसे नौटंकी करार दिया था। वस्तुस्थिति को नौटंकी करार देने वाले जिम्मेदार यहां त्रिवेणी पर आकर देखें कि किस तरह से शिप्रा में इंदौर का मल-मूत्र मिल रहा है। जनता की भावनाएं आहत हो रही हैं। देश-विदेश से शिप्रा में स्नान करने आने वाले क्या अनुभव लेकर जाएंगे? 3 मई से पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत होगी। हालांकि श्रद्धालु एक-दो दिन पहले से ही ये यात्रा शुरू कर देते हैं। ऐसे में अधिकारियों के सामने यह चुनौती रहने वाली है कि वे पंचक्रोशी के यात्रियों के शहर पहुंचने से पहले शिप्रा में से गंदा पानी बहाकर उसमें साफ पानी भरें।